🌞~ वैदिक पंचांग ~ 🌞
🌤️ दिनांक -06 जुलाई 2024
🌤️ दिन - शनिवार
🌤️ विक्रम संवत - 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2080)
🌤️ शक संवत -1946
🌤️ अयन - दक्षिणायन
🌤️ ऋतु - वर्षा ॠतु
🌤️ मास - आषाढ
🌤️ पक्ष - शुक्ल
🌤️ तिथि - प्रतिपदा 07 जुलाई प्रातः 04:26 तक तत्पश्चात द्वितीया
🌤️ नक्षत्र - पुनर्वसु 07 जुलाई प्रातः 04:48 तक तत्पश्चात पुष्य
🌤️ योग - व्याघात 07 जुलाई रात्रि 02:47 तक तत्पश्चात हर्षण
🌤️ राहुकाल - सुबह 09:23 से सुबह 11:03 तक
🌞 सूर्योदय-06:03
🌤️ सूर्यास्त- 19:23
👉 दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🚩 *व्रत पर्व विवरण -
💥 विशेष - प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा पेठा) न खाएं क्योकि यह धन का नाश करने वाला है (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
💥 ब्रह्म पुराण' के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- 'मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी। जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।' (ब्रह्म पुराण')
💥 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय।' का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है। (ब्रह्म पुराण')
💥 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।(पद्म पुराण)
🌞 ~ वैदिक पंचांग ~ 🌞
🌷 पुष्य नक्षत्र योग 🌷
➡ 07 जुलाई 2024 रविवार को सूर्योदय से 08 जुलाई सूर्योदय तक रविपुष्यामृत योग है ।
🙏🏻 १०८ मोती की माला लेकर जो गुरुमंत्र का जप करता है, श्रद्धापूर्वक तो २७ नक्षत्र के देवता उस पर खुश होते हैं और नक्षत्रों में मुख्य है पुष्य नक्षत्र, और पुष्य नक्षत्र के स्वामी हैं देवगुरु ब्रहस्पति | पुष्य नक्षत्र समृद्धि देनेवाला है, सम्पति बढ़ानेवाला है | उस दिन ब्रहस्पति का पूजन करना चाहिये | ब्रहस्पति को तो हमने देखा नहीं तो सद्गुरु को ही देखकर उनका पूजन करें और मन ही मन ये मंत्र बोले –
ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम : |...... ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम : |
🌞 ~ वैदिक पंचांग ~ 🌞
🌷 कैसे बदले दुर्भाग्य को सौभाग्य में 🌷
🌳 बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें |
🙏🏻 -लोककल्याण सेतु – जून २०१४ से
🌞 ~ वैदिक पंचांग ~ 🌞
🌷 गुप्त नवरात्रि 🌷
🙏🏻 हिंदू धर्म के अनुसार, एक साल में चार नवरात्रि होती है, लेकिन आम लोग केवल दो नवरात्रि (चैत्र व शारदीय नवरात्रि) के बारे में ही जानते हैं। इनके अलावा आषाढ़ तथा माघ मास में भी नवरात्रि का पर्व आता है, जिसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं। इस बार आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा (06 जुलाई, शनिवार) से होगा, जो आषाढ़ शुक्ल नवमी (15 जुलाई, सोमवार) को समाप्त होगी।
👺 शत्रु को मित्र बनाने के लिए 👺
🙏🏻 नवरात्रि में शुभ संकल्पों को पोषित करने, रक्षित करने, मनोवांछित सिद्धियाँ प्राप्त करने के लिए और शत्रुओं को मित्र बनाने वाले मंत्र की सिद्धि का योग होता है।
🙏🏻 नवरात्रि में स्नानादि से निवृत हो तिलक लगाके एवं दीपक जलाकर यदि कोई बीज मंत्र 'हूं' (Hum) अथवा 'अं रां अं' (Am Raam Am) मंत्र की इक्कीस माला जप करे एवं 'श्री गुरुगीता' का पाठ करें तो शत्रु भी उसके मित्र बन जायेंगे l
👩🏻 माताओं बहनों के लिए विशेष कष्ट निवारण हेतु प्रयोग 1
👩🏻 जिन माताओं बहनों को दुःख और कष्ट ज्यादा सताते हैं, वे नवरात्रि के प्रथम दिन (देवी-स्थापना के दिन) दिया जलायें और कुम-कुम से अशोक वृक्ष की पूजा करें ,पूजा करते समय निम्न मंत्र बोलें :
🌷 “ अशोक शोक शमनो भव सर्वत्र नः कुले "
" ASHOK SHOK SHAMNO BHAV SARVATRA NAH KULE "
🙏🏻 भविष्योत्तर पुराण के अनुसार नवरात्रि के प्रथम दिन इस तरह पूजा करने से माताओ बहनों के कष्टों का जल्दी निवारण होता है l
👩🏻 माताओं बहनों के लिए विशेष कष्ट निवारण हेतु प्रयोग 2
🙏🏻 शुक्ल पक्ष तृतीया के दिन में सिर्फ बिना नमक मिर्च का भोजन करें l (जैसे दूध, रोटी या खीर खा सकते हैं, नमक मिर्च का भोजन अगले दिन ही करें l)
🌷 • " ॐ ह्रीं गौरये नमः "
"Om Hreem Goryaye Namah"
🙏🏻 मंत्र का जप करते हुए उत्तर दिशा की ओर मुख करके स्वयं को कुम -कुम का तिलक करें l
🐄 गाय को चन्दन का तिलक करके गुड़ और रोटी खिलाएं l
💰 श्रेष्ठ अर्थ (धन) की प्राप्ति हेतु 💰
➡ प्रयोग : नवरात्रि में देवी के एक विशेष मंत्र का जप करने से श्रेष्ठ अर्थ कि प्राप्ति होती है मंत्र ध्यान से पढ़ें :
🌷 " ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमल-वासिन्ये स्वाह् "
" OM SHREEM HREEM KLEEM AIM KAMALVAASINYE SWAHA "
👦🏻 विद्यार्थियों के लिए 👦🏻
🙏🏻 प्रथम नवरात्रि के दिन विद्यार्थी अपनी पुस्तकों को ईशान कोण में रख कर पूजन करें और नवरात्रि के तीसरे तीन दिन विद्यार्थी सारस्वत्य मंत्र का जप करें।
📖 इससे उन्हें विद्या प्राप्ति में अपार सफलता मिलती है l
बुद्धि व ज्ञान का विकास करना हो तो सूर्यदेवता का भ्रूमध्य में ध्यान करें ।
🙏🏻 जिनको गुरुमंत्र मिला है वे गुरुमंत्र का, गुरुदेव का, सूर्यनारायण का ध्यान करें। अतः इस सरल मंत्र की एक-दो माला नवरात्रि में अवश्य करें और लाभ लें l
🙏🏻 –(वेद-व्यास जी , देवी भागवत)
🌞 ~ वैदिक पंचांग ~ 🌞
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